' स्वामी दिव्यास्त्र विश्वात्म्भाव विश्वबंधुत्व चैरिटेबल ट्रस्ट ' का समस्त विश्व के प्रति उद्देश्य एवं सन्देश :
दिन प्रतिदिन बढतें अधर्म, अन्याय, भ्रष्टाचार और प्रदूषण के बोझ तले दबी जा रही पृथ्वी को बचाने के लिए मनुष्य में पाप के प्रति ऐसी संवेदनाओ को जगाना जिससे कोई भी पाप करते समय उसकी अंतरात्मा भय से थरथराने लगे. उसके साथ हुई एक छोटी सी दुर्घटना भी उसे ये सोचने पर मजबूर कर दे की कल उसने कौन सा ऐसा पाप किया था .
मनुष्य में पाप रहित रहने का भाव ही विश्व में 'वासुदेव कुटुम्बकम' के स्वप्न को साकार कर सकता है और साथ ही वह पृथ्वी पर दिन प्रतिदिन होने वाली प्राकृतिक आपदाओ से बचा सकता है - स्वयं को, अपने परिवार को, अपने प्रियजनों को और अपनी अगली पीढी को
दिन प्रतिदिन बढतें अधर्म, अन्याय, भ्रष्टाचार और प्रदूषण के बोझ तले दबी जा रही पृथ्वी को बचाने के लिए मनुष्य में पाप के प्रति ऐसी संवेदनाओ को जगाना जिससे कोई भी पाप करते समय उसकी अंतरात्मा भय से थरथराने लगे. उसके साथ हुई एक छोटी सी दुर्घटना भी उसे ये सोचने पर मजबूर कर दे की कल उसने कौन सा ऐसा पाप किया था .
मनुष्य में पाप रहित रहने का भाव ही विश्व में 'वासुदेव कुटुम्बकम' के स्वप्न को साकार कर सकता है और साथ ही वह पृथ्वी पर दिन प्रतिदिन होने वाली प्राकृतिक आपदाओ से बचा सकता है - स्वयं को, अपने परिवार को, अपने प्रियजनों को और अपनी अगली पीढी को
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