बढती जनसँख्या किसी ' जघन्य सामाजिक अपराध ' से कम नहीं
बढती जनसँख्या दे आपको
- ज्यादा बच्चे यानि माता पिता द्वारा उनके प्रति स्नेह, उनके रख- रखाव मे कमी जिससे न हो पाए बच्चो में पारस्परिक प्रेम की भाषा का विकास यानि ' बच्चे का नाना प्रकार से अभाव युक्त जीवन '
- इसी अभाव युक्त जीवन से जुड़ा विरोधाभास करता है बच्चे को बार बार कुंठित और पनपती है बच्चे में धीमे धीमे समाज के प्रति घृणा और शायद उसमे जन्म लेता है एक विद्रोही व्यक्तित्व
- बढती जनसँख्या यानि बढती बेरोजगारी, बढती भुखमरी, छीना झपटी और अपराध
- ऐसे अव्यवस्थित समाज में कब क्या दुर्घटना घट जाये, कब हो जाये कोई अनहोनी, चंद रुपयों के लिए हो जाते है खून
- रोके बढती जनसँख्या को, सुरक्षित करें अपने और अपने प्रियजनों के भविष्य को।
बढती जनसँख्या दे अनेक अन्य समस्याए
- इसके सामने सारी सरकारी परियोजनाये - बिजली, पानी, आवास व्यस्था, दिन पर पर होती चौड़ी सड़के, फ्लाई ओवर, आवागमन, परिवहन, रेल, बढ़ते हास्पिटल सभी है असमर्थ .
- कानून व्यस्था हो गई लाचार
- कोई भी सरकार पूरी न कर पायेंगी बढती जनसँख्या की बढती मांगे
- चरमराकर रह जायेगा कोई भी शासन
बस इतना ही नहीं ?
- देख ले अपने और अपने परिवार से जुड़े शारीरिक और मानसिक रोगों के इतिहास को
- कही आप देने तो नहीं जा रहे अपने बच्चो को अनुवांशिक शारीरिक रोग या अनुवांशिक भयानक मानसिक रोग जैसे स्किजोफ्रिनिया , असामान्य व्यक्तित्व रोग, नशा रोग, एडीएचडी, एडीडी, मूड डिसऑर्डर जो मूलतः कारण है बढ़ते हुए अपराधो का और आतंकवाद का, प्रायः अपराध और आतंकवाद से जुड़े लोग ग्रसित है इन्ही रोगों से
- रुके दे अपने बच्चे को स्नेह, न रखें उनके रख- रखाव मे कमी, हो आपके बच्चे में पारस्परिक प्रेम की भाषा का विकास, न मिले उसको एक अभाव युक्त जीवन
- आप अनुवांशिक रोगों को भी अपने बच्चे में परिलक्षित होने से भी पूर्णता रोक सकते है बस केवल अपने द्वारा दिए गए अच्छे संस्कारो से
- अच्छे संस्कार ...रोके बढती जनसँख्या, जिससे आप दे पाए अपने बच्चे को वो सब जो आप अपेक्षा रखते है अपने आस पास के वातावरण से ...एक स्वस्थ्य, नैतिक, व्यस्थित एवं अपराधमुक्त समाज
उत्तर है एक ही
- रोके बढती जनसँख्या
केवल एक ही है हल
अपेछित सामाजिक कायापलट और विकास का
भयमुक्त, अन्यायमुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त, अपराधमुक्त, आतंकवादमुक्त समाज का
ले संकल्प, करें आवाहन!!! बढती जनसँख्या को रोकने का ...रोके बढती जनसँख्या - स्वादि